फ़रवरी 15, 2009 क्या कमाल था कि देख आइना सिहर उठा , इस तरफ़ ज़मीन और आस्मां उधर उठा , थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा , वो उठी लहर कि ढह गये किले बिखरबिखर नैन और पढ़ें
मार्च 04, 2008 मिथ्यचारी इन्द्रियानार्थान्विमू ढ ात्मा मिथ्याचार : यावानर्थ उदपाने सर्वत : सम्प्लुतोदके | तवंसर्वे षु वेदे षु ब्रह्मं ण स्य विजानत : || गुनातीत मनुष्य ु ु ु वेदे षु ब्रह्मं ण स्य विजानत : षु ण ह और पढ़ें
फ़रवरी 08, 2008 ओह रे , ताल मिलें नदी के जल में नदी मिलें सागर में सागर मिलें कौन से जल में कोई जाने ना | और पढ़ें
फ़रवरी 03, 2008 एक वैदिक लौकिक उपासीत संकल्प निर्विकल्प उपासना अर्थना प्रार्थना उप आसन उपेक्शा और पढ़ें